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Dilli ke Diller Campaign

महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सिविल सोसाइटी का जागरूकता आंदोलन

महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर एक्शन मोड में आई सिविल सोसाइटी

हाल की भयावह घटनाओं के जवाब में, आम नागरिको , गैर सरकारी संगठनो  और कायकर्ताओ की तरफ से औरतो के खिलाफ हिंसा से निबटने के लिए कई आवाज़े और पहल सामने आई है। 

नई दिल्ली । 26 अगस्त  2024

कोलकाता मे ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या, बदलापुर मे दो मासूम बच्चियों के योन शोषण समेत देश के अन्य हिस्सों मे  मिहलाओं के साथ बलात्कार और यौन हिंसा की हाल ही मे हुई बेहद परेशान करनेवाली घटनाओंनो ने सिविल सोसायटी यानी नागरिक समाज मे एक व्यापक जन आक्रोश को जन्म दिया है। 

देश भर मे ,गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), सामुदायिक समहू, कार्यकर्ताओ और चिंतित  नागरिक मिहलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के उद्देश्य से सड़क पर विरोध

प्रदर्शन, सोशल मीिडया अभियानों से लेकर को लेकर कई नए कार्यकर्म और पहल शुरू करने के लिए सामने आए है।

इससे पहले इस तरह का जन आंदोलन निर्भया कांड के बाद देखने को मिला था जब देश के अलग-अलग हिस्सों मे इस घटना को लेकर व्यापक प्रदर्शन हुए थे। तब दिल्ली का जंतर-मतंर तब इन प्रदर्शनों का केंद्र बन गया था।

कोलकाता की घटना के बाद भी देश मे कुछ ऐसा ही माहौल बनता दिखाई दे रहा है।

Dilli ke Diller

जमीनी स्तर पर लामबंदी और जागरूकता अिभयान

इस बार सिविल सोसाइटी की ओर से सबसे प्रमुख प्रतिक्रिआओं मे से एक जमीनी स्तर पर बदलाव की माँग है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहो मे हज़ारो लोग सड़को पर उतर आए है, और उन्होंने कानूनों के सख्त क्रियान्वयन और पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय की मांग की है।

हालाकी, इस बार ये विरोध प्रदर्शन सिर्फ कानूनी  सुधार के बारे मे नहीं हैं; ये हमारे सामािजक दृष्टिकोण को बदलने के बारे मे भी हैं। कई प्रदर्शनों मे  इस तरह के नारे लिखी तख्तियां दिखाई गई; जो मिहलाओंक के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देनेवाली मानिसकता और पितृसत्तातमक माइडं सेट को चुनौती देती हैं।

गैर सरकारी संगठनों ने बढ़ाए कदम

कई एनजीओ ने यौन हिंसा के पीड़ितों का समर्थन करने और भविष्य मे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। एक तरफ़ जहां अखिल भारतीय मिहला सम्मेलन (AIWC) और राष्ट्रय मिहला आयोग (NCW) जैसे संगठन पीड़ितों को कानूनी सहायता, परामर्श और पुनर्वास जैसी सेवाएँ प्रदान करते हुए नीतिगत बदलावों के लिए दबाव बना रहे हैं।

Dilli ke Diller

तो वही दूसरी सर्व हितम मानव सेवा संसथान जैसे एनजीओ मिहलाओं के लिए अिधक कड़े सुरक्षात्मक उपायों के बारे मे समुदायों को शिक्षित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे है। ये गैर सरकारी संगठन ‘निडर  बेटिया’ कैंपेन के माध्यम से लड़कियों को सेल्फ-डिफेंस की ट्रेनिंग देने के लिए कार्यशालाए, प्रशिक्षण सत्र और जागरूकता कार्यकर्म आयोजित कर रहे हैं। इस संस्था का प्रयास है कि सरकार द्वारा दिल्ली के सभी स्कूलों मे लड़कियों के लिए सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग को अनिवार्य बनाया जाए। 

इसके साथ ही सर्व हितम मानव सेवा संसथान ने ‘दिल्ली के दिलेर’ नाम का एक अिभयान भी शुरू किया है। इसका उद्देश्य मिहलाओंक के खिलाफ यौन हिंसा का विरोध करने के लिए पुरुषो, विशेषकर कर युवाओं को प्रेरित करना है। इस अिभयान के तहत पुरुषो को सक्षम और संवेदनशील बनाने के लिए दिल्ली के स्कूल, कॉलेज, हाउिसंग सोसायटी आदि मे सेमिनार, चर्चा, नुक्कड़ नाटक आदि आयोजित किए जा रहे है।

इन कार्यकर्म के माध्यम से पुरुषो को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वे किसी भी स्तर पर मिहलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के विचारो को न सिर्फ हतोस्ताहित करेंगे बल्कि अपने आस-पास हो रही ऐसी किसी घटना पर मूकदर्शक बने रहने के बजाय उसका विरोध करेंगे और उसे रोकने के लिए  अपना हर सम्भव  प्रयास करेंगे। इसके लिए पुरुषो को बाकायदा एक सपथ भी दिलाई जा रही है।

IAS officer Sonal Goyal

ऐसे कई अभियानों के साथ मेंटॉर के रूप मे जुड़ी आईएएस अधिकारी सोनल गोयल कहती है की, “ये प्रयास विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योकि इसका उद्देश्य पुरुषो खासकर युवा पीढ़ी मे जेंडर सेंसिटिविटी की वैल्यूज को एस्टेब्लिश करना है। जब भी इस तरह की कोई घटना होती है, हमारा पूरा गुस्सा लॉ एंड ऑर्डर मशीनरी पर फूटता है। बेहतर लॉ एंड ऑर्डर की माँग जायज है, लेकिन उसके साथ ही एक सोसायटी के रूप मे हमें अपनी रेस्पॉन्सिबिल्टी और जवाबदेही तय करने की भी ज़रूरत है।”

अभी दिल्ली दुर है।

हालाँकि सिविल सोसायटी की तरफ़ से यह सक्रियता काफ़ी उत्साहजनक है, लेकिन कई एक्सपर्ट्स यह स्वीकार करते है की यौन हिंसा से मिहलाओं की सुरक्षा का रास्ता अभी काफी लम्बा और चुनौतियों से भरा है।

लड़के और लड़कियों की परवरिश मे असमानताए, भारतीय समाज मे गहराई से जड़ जमाए हुए सांस्कृतिक मानदडं और कानूनी प्रक्रियाओं की धीमी गित, किसी ठोस बदलाव की दिशा मे महत्वपूर्ण बाधाएँ बनी हुई हैं।

फिर भी, इन छोटे-छोटे प्रयासों से एक उम्मीद जरूर बंधती है। मिहलाओं के साथ बलात्कार और यौन हिंसा की हाल की घटनाओं पर सिविल सोसायटी की सामूहिक प्रतिक्रिया इस बात को हाईलाइट करती है कि मिहलाओं के प्रति यौन हिंसा के ख़िलाफ़ लड़ाई सिर्फ़ कानून लागू करने वालो की नहीं बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

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