बीमारी से प्रेरणा तक: डॉ. जितेन्द्र पटवारी की ‘चक्रसंहिता’
व्यक्तिगत पीड़ा को बना दिया वैश्विक योगदान – दिलाया देश को सम्मान
कुछ कहानियाँ हमें रुककर यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि असली उपचार का अर्थ क्या है। डॉ. जितेन्द्र पटवारी – विश्व के पहले PhD in Chakra Healing – का जीवन ऐसी ही एक कहानी है, जो दर्द से शुरू होकर आशा, विज्ञान और आत्म-संयम का वैश्विक संदेश बन गई।
जब चिकित्सा ने हार मान ली थी
साल 1998 में डॉ. पटवारी को Ramsay Hunt Syndrome नामक दुर्लभ और दर्दनाक नर्व डिसऑर्डर हुआ। भारत और लंदन के प्रमुख चिकित्सकों ने साफ कह दिया-“अब रिकवरी संभव नहीं।”
परन्तु हार मानने के बजाय उन्होंने मन में एक संकल्प लिया-
“अगर बाहरी विज्ञान मुझे ठीक नहीं कर सकता, तो मैं अपने भीतर का विज्ञान खोजूँगा।”
यही वह क्षण था जिसने एक असाधारण व्यक्तिगत प्रयोग की शुरुआत की। अनुशासित ध्यान, कुण्डलिनी साधना और चक्र ऊर्जा के व्यवस्थित अभ्यास के माध्यम से उन्होंने न केवल पूर्ण रूप से स्वास्थ्य प्राप्त किया बल्कि यह समझा कि इसी विज्ञान से दूसरों के शारीरिक और भावनात्मक उपचार में भी सहायता दी जा सकती है।
स्वयं उपचार से वैज्ञानिक उपलब्धि तक
डॉ. पटवारी की यह अकादमिक उपलब्धि भारतीय चक्र विज्ञान की परंपरा को वैश्विक मान्यता तक पहुँचा चुकी है। उनका डॉक्टरेट International Open University for Complementary Medicines, Russia द्वारा 39th World Congress of Medicina Alternativa (रशियन हाउस, मुंबई) में प्रदान किया गया।
समारोह में रूस, ईरान और बेलारूस के कांसुल जनरल सहित अंतरराष्ट्रीय गणमान्य उपस्थित थे। यह आयोजन Zoroastrian College (संयुक्त राष्ट्र संलग्न NGO) के सहयोग से सम्पन्न हुआ।
यह भारत के लिए गर्व का क्षण था – पहली बार एक पारंपरिक भारतीय शास्त्र को वैश्विक अकादमिक मान्यता मिली, जिसने प्राचीन आध्यात्मिकता और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु बना दिया।
‘चक्रसंहिता’ का जन्म
अपनी दीर्घ साधना और अनुसंधान के दौरान डॉ. पटवारी ने अपने अनुभवों को ‘चक्रसंहिता’ पुस्तक में संकलित किया। सरल भाषा में लिखी यह पुस्तक बताती है कि कैसे सात ऊर्जा केंद्रों का असंतुलन हमारे शरीर, विचार और संबंधों को प्रभावित करता है – और कैसे ध्यान, सजग दृश्य कल्पना और नियमित अनुशासन से संतुलन पाया जा सकता है। पाठक इस पुस्तक को “स्व-चिकित्सा का मित्र” कहते हैं। यह उपदेश नहीं देती – यह मार्ग दिखाती है।
एक मिशन: बेनिटो लाइफ़ सॉल्यूशन्स
डॉ. पटवारी ने Bennitto Life Solutions Pvt. Ltd. की स्थापना की – एक ऐसा वेलनेस संस्थान जो चक्र हीलिंग, काउंसलिंग और हिप्नोथैरेपी को व्यावहारिक कार्यक्रमों में बदलता है।
भारत, यूके, कनाडा, अमेरिका और गल्फ के हजारों लोग उनके सेशंस से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस कर चुके हैं। उनकी कार्यशालाएँ युवाओं के तनाव, अवसाद और अति-विचार से लेकर पेशेवर दबाव तक हर स्तर पर मदद करती हैं।
एक व्यक्तिगत यात्रा जो सार्वजनिक संकल्प बन गई

डॉ. पटवारी की कहानी इसलिए स्पर्श करती है क्योंकि उन्होंने कभी प्रसिद्धि नहीं मांगी। वह अक्सर कहते हैं-
“मैं ठीक होने की कोशिश इसलिए नहीं कर रहा था कि दुनिया को कुछ साबित कर सकूँ, बल्कि इसलिए कि मैं फिर से जी सकूँ।” उनकी यह सच्चाई लाखों लोगों के दिल को छूती है। चाहे कॉर्पोरेट सेमिनार हो या ध्यान सत्र, उनका संदेश सरल है – “हीलिंग एक दैनिक अभ्यास है, सप्ताहांत का आराम नहीं।”
आज भी उनका अनुशासन जारी है – सुबह ध्यान, शोध, काउंसलिंग और लेखन। वैश्विक मान्यता के बावजूद उनकी सादगी और हास्यबुद्धि बनी रहती है। वह अक्सर पुराने गीतों के माध्यम से कहते हैं-
“मन को भी संगीत चाहिए, यही तो जागरूकता की पृष्ठभूमि धुन है।”
विश्व के लिए संदेश
डॉ. पटवारी की उपलब्धि वैश्विक वेलनेस की नई दिशा दिखाती है, जहाँ भारत का अनादि ज्ञान आधुनिक मान्यता से जुड़ रहा है। उनका PhD (UN Academic Impact के अंतर्गत मान्यता प्राप्त) दर्शाता है कि ऊर्जा-आधारित हीलिंग अब आश्रमों तक सीमित नहीं रही, बल्कि विश्वविद्यालयों तक पहुँच गई है।
यह भारत के लिए गर्व की बात है कि ऐसा सम्मान हमारी भूमि से उभरा। और विश्व के लिए संदेश है कि चिकित्सा सिर्फ शारीरिक नहीं – यह शरीर, मन और सजगता का मेल है।
अंत में डॉ. जितेन्द्र पटवारी की जीवन यात्रा एक सरल सत्य सिखाती है –
कभी-कभी जीवन हमें तोड़ता है ताकि हम वैसे बन सकें जैसे दुनिया को ज़रूरत है।
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